राजस्थान: चर्चा मे है नई दूल्हा-दुल्हन की जोडी, हेलीकाप्टर से ससुराल पहुची दुल्हन

राजस्थान: चर्चा में है नई दूल्हे-दुल्हन की जोड़ी, हेलीकाप्टर से ससुराल पहुंची दुल्हन

चर्चा में क्यों है आईपीएस दूल्हे और आईएएस दुल्हन की शादी। राजस्थान के चुरु जिले से आईपीएस दूल्हा आईएएस दुल्हन को हेलिकॉप्टर से लेकर गया।

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जूनागढ़ (भरतपुर) जिले में रहने वाली उत्तर प्रदेश कैडर की दुकान और चूरू में रहने वाले कलीसिया चौधरी की शादी हुई। विवाह होने के बाद पति-पत्नी अपनी छात्रवृत्ति दुल्हन को अपने गांव हेलिकॉप्टर से विदा ले गए। जैसे ही हेलीकॉप्टर जूना के कॉलेज ग्राउंड में उतरा, हेलीकॉप्टर को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों को पता चला कि हैलीकॉप्टर से रिक-आई पीपीएस दंपत्ति की विदाई हो रही है। इसके बाद लोगों में देखने की उत्सुकता और बढ़ गई कि भरतपुर में रहने वाली दुल्हन के पिता डॉक्टर अमर सिंह ने कहा कि मेरा सपना था कि बेटी की शादी के बाद जब उसकी शादी होगी तो वह उसे ससुराल से विदा कर देगी।

चूरू में हेलिकॉप्टर से आई पौराणिक दुल्हनों को देखने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण महिलाएं और जनजातियां वहां पहुंचीं। था.

राजस्थान के चुरू में वैल्युएबल और पत्थर अपराजिता की शादी की चर्चा है। खसौली गांव के दयानंद रायल के बेटे राजवंशी रायल ओर जूनून के डॉ. अमर सिंह सिनासिनिवार की बेटी अपराजिता की शादी सिर्फ 1 रुपये और नारियल लेकर हुई है। इसके अलावा पुरातात्विक साक्ष्यों की सूची अपनी नई नवेली दुल्हन अपराजिता को हेलीकॉप्टर से विदा करवाकर अपने घर ले जाती हैं।

शादी के लिए खासौली से काफिला जूनून के एक निजी होटल मैरिज गार्डन का अपहरण हुआ था। 31 जनवरी को एक ख़ुशनुमा मोहरे में दोनों फ़्राईज़ और रिवाज़ों की रैलियां-रिवाज़ के साथ शादी की दुकानें निकलीं और सभी लोग फिर से चूरू के लिए टुकड़ियों से निकल गए। तीन मंडली और दुल्हन अपराजिता हेलीकॉप्टर के खसौली क्षेत्र में लोगों के लिए देखने के लिए बाढ़ का मैदान।

हेलीकॉप्टर से आई दुल्हन को देखने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण महिलाएं और जनजातियां बनी हुई थीं, जो कि रेस्तरां में आयोजित की गई थीं, दुल्हन लेकर पहुंची दुल्हन के स्वागत के लिए राजस्थानी लोकगाड़ियों के साथ डीएचपी और चांग का अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

हेलीकॉप्टर के आने के बाद कृमि हेलीपेड से स्वागत के लिए कालीन का उपयोग दोनों ओर फूलों के गुलदास्ते लगाए गए थे। ग्रामीण राजस्थानी भाषा में विवाह के गीत महिलाएं गा रही थीं, पूरा गांव में अपने लाडले अनुयायी और शिष्य बहू और बेटे का पावड़े कर इंतजार कर रहे थे।

भरतपुर, जूनून के गांव धौरमुई में रहने वाली अपराजिता के पिता डॉ. अमर सिंह और माता डॉ. नितन सिंह दोनों ही सरकारी अस्पताल में डॉक्टर थे, लेकिन उदार लेकर दोनों ने अपना खुद का अस्पताल शुरू कर दिया। उनकी बेटी डॉ. अपराजिता ने साल 2011 में नीट की परीक्षा पास की थी। फिर साल 2017 में हरियाणा के गांवों से पूरा कर लिया गया, लेकिन अपराजिता बेरोजगार चाहने वाले थे। इसलिए उन्होंने सिविल सर्विस एजीएम की तैयारी की और वर्ष 2019 में वो